Navratri Akhand Jyoti: धार्मिक महत्व और निर्देश
नवरात्रि, मां दुर्गा के पावन पर्व के अवसर पर, अखंड ज्योति को जलाने का महत्वपूर्ण परंपरागत रीति है। इस रीति का पालन करके मां दुर्गा की आशीर्वाद प्राप्त करने की आशा होती है और यह ज्योति परिवार के हर गोदी में सुख, शांति और समृद्धि की ओर संकेत करती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप अखंड ज्योति को कैसे और कहां रखें, और कैसे इसका आदर करें, यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नवरात्रि इस वर्ष 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक मनाई जा रही है, इसके दौरान परिवारों में धार्मिक आनंद और आध्यात्मिक महत्व का महसूस होता है।
अखंड ज्योति का महत्व: Navratri Akhand Jyoti
नवरात्रि के पावन अवसर में मां दुर्गा की अखंड ज्योति को सही दिशा में रखना महत्वपूर्ण है। इस ज्योति को जलाने से घर में शुभता, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो परिवार की सुख-समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
परिवार में मां दुर्गा की विराजमानता: Navratri Akhand Jyoti
नवरात्रि के इस पावन अवसर के दौरान, प्रत्येक हिन्दू परिवार में मां दुर्गा की विराजमानता होती है। अखंड ज्योति का आयोजन करने से मां दुर्गा की उपासना और समर्पण का संकेत देने का भी महत्व होता है।
निर्देश: Navratri Akhand Jyoti
नवरात्रि के पावन अवसर पर अखंड ज्योति को ध्यानपूर्वक जलाना चाहिए, जो कि घर की प्रमुख दिशा में होनी चाहिए। यह ज्योति घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता की ओर संकेत करेगी और घर के आत्मिक माहौल को प्राप्त करने में मदद करेगी। यह जरूरी है कि ज्योति को तिजोरी या अन्य सुरक्षित स्थान पर रखें, ताकि किसी दुर्घटना से बचा जा सके।
नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर, अखंड ज्योति के आदर्श रूप से जलाकर घर में आने वाली समस्त मुश्किलों और बाधाओं को दूर करने की शुभकामना करते हैं।
अखंड ज्योति: धार्मिक और वास्तु शास्त्र में महत्व
अखंड ज्योति का महत्व:
अखंड ज्योति एक प्राचीन भारतीय परंपरागत प्रथा है जिसमें एक दीपक बिना बुझाए लगातार जलाया जाता है. यह प्राथमिक रूप से नवरात्रि के त्योहार के दौरान महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान, अखंड ज्योति का प्रमुख मक्सद है मां दुर्गा की पूजा करते समय आस्था और श्रद्धा को दर्शाना और मां की शक्ति और अनंतता का प्रतीक बनाना।
अखंड ज्योति को बिना रुकावट के जलाने से यह संकेत मिलता है कि मां दुर्गा हमें हमेशा सुरक्षित रखेंगी और हमारे जीवन में प्रकाश और पॉजिटिविटी का संचार करेंगी। इस प्रथा के माध्यम से, भक्त अपनी आस्था को प्रकट करते हैं और मां के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करते हैं।
अखंड ज्योति का वास्तु शास्त्र में महत्व:
वास्तु शास्त्र एक धार्मिक और वैदिक विज्ञान है जो हमारे जीवन को संतुलित करने और शुभता को बढ़ावा देने के लिए निर्देशित करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, अखंड ज्योति को जलाने की विशेष विधि और दिशा का महत्वपूर्ण होता है।
1. दिशा:
- अखंड ज्योति को आग्नेय कोण में, अर्थात पूर्व या दक्षिण दिशा में रखने की प्राथमिकता होती है।
- यह दिशा विशेष रूप से ताजगी, पॉजिटिविटी, और संतुलन को बढ़ावा देती है।
2. मुख की दिशा:
- ज्योति का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
- यह आशीर्वाद और पोजिटिव एनर्जी की स्त्रोत के रूप में काम करता है।
अखंड ज्योति की लौ के लिए मान्यता:
अखंड ज्योति को ऊपर की ओर उठाना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मां दुर्गा के आशीर्वाद और पॉजिटिव एनर्जी को प्रतिष्ठान देता है। इसके अलावा, ज्योति की लौ की दिशा भी महत्वपूर्ण होती है।
1. दिशा:
- अगर ज्योति की लौ ऊपर की ओर है, तो यह मां दुर्गा के आशीर्वाद की प्रतीक मानी जाती है, और पोजिटिव एनर्जी को बढ़ावा देती है।
2. धन की संभावना:
- ज्योति की लौ उत्तर दिशा में होने पर, धन के प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
3. धनहानि की संभावना:
- अगर ज्योति की लौ दक्षिण दिशा में होती है, तो धनहानि की संभावना हो सकती है।
इस रूप में, अखंड ज्योति का महत्व धार्मिक और वास्तु शास्त्र के साथ जुड़ा होता है और यह लोगों
को उनके आस्थानिक और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के साथ संतुष्ट करने में मदद करता है।