Kisne rakha tha sabse pehle Karva Chauth ka vrat? हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष इस तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर 2023 को रात 9:30 बजे से होगी, जो 1 नवंबर 2023 को रात 9:19 बजे समाप्त होगी।
सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत बहुत महत्व रखता है। इस दिन हर सुहागिन महिला अपनी पत्नी की लम्बी दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत करती है। ये परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कहा जाता है प्राचीन काल में देवियों ने भी अपने पति की लंबी अवधि के लिए करवा चौथ का व्रत किया था। इससे ज्यादा, करवा चौथ व्रत के लिए काई कथाएं भी प्रचलित हैं, जो इस व्रत की महत्ता को और भी अधिक महसुस कराते हैं।
करवा चौथ का व्रत: परंपरा, कथाएं, और महत्व
1. परंपरा और महत्व:
करवा चौथ एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का महत्व विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए होता है, जिन्हें अपने पति की लंबी और सुखमय जीवन की कामना होती है। इस परंपरा का पालन प्राचीन काल से चला आ रहा है और इसका महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक माना जाता है।
2. कथाएं और इतिहास:
करवा चौथ के व्रत के महत्व को संबोधित करने के लिए कई पौराणिक कथाएं हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था और इसके परिणामस्वरूप उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। यही कारण है कि सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबे और खुशहाल जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं।
3. व्रत की शुरुआत:
अयोध्या के ज्योतिष पंडित सर्वेश श्रीवास्तव के अनुसार, करवा चौथ के व्रत की शुरुआत के पीछे भी कई कथाएं हैं। इस व्रत की शुरुआत कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को होती है और इस व्रत का महत्व उसी दिन के सुबह शुरू होता है।
4. महाभारत का योगदान:
महाभारत में भी करवा चौथ के व्रत का उल्लेख है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की सलाह पर करवा चौथ का व्रत अर्जुन के लिए रखा था। इस व्रत के परिणामस्वरूप पांडवों को उनके संकटों से मुक्ति मिली थी।
करवा चौथ का व्रत एक प्रमुख पारंपरिक व्रत है जो महिलाएं अपने पतियों के लंबे और सुखमय जीवन की कामना करती हैं, और इसे प्रतिवर्ष धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।