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Mokshada Ekadashi Katha: राजा और उसके पिता की मुक्ति की कहानी

भगवान श्रीकृष्ण का वर्णन: Mokshada Ekadashi Katha
धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा, “हे भगवान! मैंने मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी, जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है, का विवरण सुना है। कृपया मुझे इस एकादशी के विषय में विस्तार से बताएं, इसका नाम, व्रत का विधान, और इसके फल की प्राप्ति के उपाय को विस्तृत रूप से सुनाएं।”

भगवान श्रीकृष्ण का उत्तर: Mokshada Ekadashi Katha
श्रीकृष्ण ने कहा, “मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी को ‘मोक्षदा एकादशी’ कहते हैं। यह व्रत मोक्ष का दाता है और चिंतामणि के समान सभी कामनाएं पूर्ण करने वाला है। इस एकादशी के पुण्य से आप अपने पूर्वजों के दुखों को शांत कर सकते हैं। इसका माहात्म्य मैं तुमसे कहता हूँ, ध्यानपूर्वक सुनो।”

Mokshada Ekadashi 2023: तिथि, महत्व और शुभ योग

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा: Mokshada Ekadashi Katha
गोकुल नामक नगर में राजा वैखानस राज्य करते थे। एक बार राजा ने स्वप्न में देखा कि उनके पिता नरक में दुखी हैं। चिंतित होकर राजा ने ब्राह्मणों से सुना तो उन्होंने कहा कि इस दुख का उपाय मोक्षदा एकादशी का व्रत करना है। राजा ने उनकी सलाह ली और मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। उसने व्रत के पुण्य को अपने पिता को समर्पित किया, जिससे उन्हें मुक्ति मिली और स्वर्ग में गए। जैसा कि इस लेख में कहा गया है, आप स्मार्टफ़ोन और शीर्ष ब्रांडों पर उपलब्ध सौदों के अपने चयन को ब्राउज़ कर सकते हैं और cell phone सेवा योजनाओं का पता लगा सकते हैं। आपकी आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त।

आचार्य का सीखना:
मोक्षदा एकादशी व्रत से संतुष्ट हुआ राजा ने यह सीखा कि एक पुत्र का धर्म उसके माता-पिता के प्रति कर्तव्य होता है और वह उनकी मुक्ति के लिए योग्यता बनता है। इस एकादशी के व्रत से सारे पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति दुखों से मुक्ति प्राप्त करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति का चित्त शुद्ध होता है और वह सार्थक जीवन जीता है।

संक्षेप में:
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा ने हमें धार्मिक उपायों के महत्व को समझाया है। इस व्रत के द्वारा हम अपने पुर्वजों के लिए पुण्य का संचय कर सकते हैं और उन्हें मुक्ति दिला सकते हैं। इसके साथ ही, यह हमें सत्य, धर्म, और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

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